शब्द का अर्थ
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धंधा :
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पुं० [सं० धन-धान्य] १. वह उद्योग या कार्य जो जीविका-निर्वाह के लिए किया जाय। जैसे—अब उन्होंने वकालत (या वैद्यक) का धंधा छोड़ दिया है। २. व्यवसाय। व्यापार। ३. ऐसा काम जिसमें कुछ समय तक लगा रहना पड़े। जैसे—घर का भी कुछ धंधा किया करो। ३. दूसरों का चौका-बरतन करने की नौकरी। पुं०=द्वंद्व (राज०)।a |
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धँधार :
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स्त्री० [हिं० धूँआ] १. आग की लपट। २. बहुत अधिक मानसिक संताप। वि० अकेला। एकाकी।a पुं० भारी लकड़ियाँ, पत्थर आदि उठाने के काम आनेवाला लकड़ी का एक तरह का लंबा डंडा। |
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धंधारि :
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स्त्री० १.=धँधार। २.=धंधारी।b |
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धंधारी :
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स्त्री० [हिं० धंधा] गोरखपंथी साधुओं का गोरख धंधा। स्त्री० [?] १. अकेलापन। २. एकान्त या सुनसान स्थान। ३. निस्तब्धता। सन्नाटा। |
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धंधाला :
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स्त्री० [हिं० धंधा] कुटनी। दूती। |
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धंधालू :
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वि० [हिं० धंधा] जो किसी काम या धंधे में लगा रहता हो। |
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